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कावा संस्था स्थापित करने के मुख्य उद्देश्य और लक्ष्य नीचे दिए जा रहें हैं :
संस्था की सभी प्रकार की आय, कमाई, चल-अचल सम्पत्ति को पूरी तरह से इसके ध्येय एवं उद्देश्य जो कि संस्था के ज्ञापन में उल्लेखित किया हुआ है, की प्राप्ति में ही लगाना है तथा इससे प्राप्त होने वाले लाभ को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से लाभांश, बोनस, प्रोफिट या अन्य किसी भी प्रकार से जैसा भी हो तथा संस्था के वर्तमान या निवर्तमान सदस्यों या अन्य किसी एक या अधिक व्यक्तियों द्वारा यह दावा किया जाता है। संस्था के किसी भी सदस्य को यह अधिकार नहीं होगा कि वे संस्था के सदस्य होने की हैसियत से संस्था की चल-अचल सम्पत्ति या किसी लाभ, जिस किसी भी प्रकार का हो, पर दावा करें।
कावा ने कुछ सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा बच्चों को शिक्षा प्रदान करने, प्रौढ़ शिक्षा के कार्यक्रम चलाने, परिवार कल्याण केन्द्रों के माध्यम से परिवार के लिए अतिरिक्त आय अर्जित करने, प्रबंधकीय कौशल विकसित करने, विधवाओं/असक्षम कार्मिकों को पूर्नवास करने, बल के कार्मिकों के परिवारजनों के लिए वोकेशन प्रशिक्षण प्रदान करने इत्यादि विभिन्न गतिविधियों में कदम उठाए हैं। परिवार कल्याण केन्द्रों (एफडब्ल्यूसी) के माध्यम से इन गतिविधियों को संचालित किया जाता है। प्रत्येक ग्रुप केन्द्र का अपना स्वयं का परिवार कल्याण केन्द्र (एफडब्ल्यूसी) है जहां पर बल के कार्मिकों के परिजन से वर्दी की सिलाई करने, कढ़ाई, पैच वर्क, क्रोचैट वर्क, बुनाई कार्य इत्यादि करवाया जाता है और जिसके बदले में उनको उपयुक्त मेहनताना दिया जाता है। इन केन्द्रों पर आचार बनाना, ब्यूटीसियन कोर्स इत्यादि के साथ ही अन्य विशेष कल्याणकारी गतिविधियां जैसे कि कम्प्यूटर शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, क्रेच के प्रबंधन का संरक्षण , स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के लिए भाषण व सेमिनार आयोजित करना, तनाम उन्मुक्ति कार्यक्रम, बालिका की देखभाल इत्यादि का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इन परिवार कल्याण केन्द्रों पर परिवारों को अपनी प्रतीभा को प्रदर्शित करने के लिए मंच प्रदान किया जाता है। इन कल्याणकारी गतिविधियों का उद्देश्य केवल केरिपुबल के परिवारों की आय को बढ़ाना ही नहीं अपितु उनके रहन-सहन के स्तर के साथ उनकी जागरूकता में अभिवृद्वि करना भी है। यह कल्याणकारी गतिविधयों केरिपुबल के परिवारों के लिए उनको आत्म निर्भर के साथ-साथ उनमें स्वयं में विश्वास की अभिवृद्वि करने में भी काफी सहायक है। महिलाओं को सशक्तिकरण के लिए अभी काफी सफर तय करना है।
कावा की केन्द्रीय कार्यकारिणी समिति ने राष्ट्रीय एडस नियंत्रण संगठन (रानको), दिल्ली राज्य एडस नियंत्रण समिति (डीएसएसीएस), सोसायटी फोर प्रमोशन ऑफ यूथ एण्ड मासेज (एसपीवाईएम), रिसोर्सेज सेंटर फॉर सेक्शुअल हेल्थ एण्ड एचआईवी/एडस (आरसीएसएच), यूएनएआईडीएस एण्ड अदर स्टेट एडस नियंत्रण सोसायटीज से इसकी जागरूकता के लिए समझौता किया हुआ है। यह अभिकरण इस संगठनों को आईइसी (सूचना, शिक्षा और संचार) सामग्री में मदद प्रदान कर रही है। सीडब्ल्यूए/ एफएसीसी द्वारा भी आईइसी सामग्री (पीर एत्यूकेटर्या मैनुअल, एसटीआईएस पर बुकलेट, पहचान पत्र रखने के लिए पाउच तथा पीइपी चार्टस) तैयार की जा रही है तथा केरिपुबल के फिल्म फॉर्मेशन को दी जा रही है और गृह मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार पीर एज्यूकेशन मैनुअल छपवा ली गई है और दूसरे अर्द्व सैनिक बलों को जारी कर दी गई है।
वर्तमान परिदृष्य में, एसआईवी/एडस जन स्वास्थ्य के लिए ही नहीं अपितु समान के लिए भी एक प्रमुख खतरा है। किसी व्यक्ति को एचआईवी/एडस पॉजिटिव का पता लगने के बाद जागरूकता व समझ की कमी के चलते सामान्यत: साथी/परिवार के सदस्य उसकी अनदेखी करते है जिसके कारण आगे चलकर उसकी कई और समस्याओं में बढ़ात्तरी होती है।
इसलिए कावा ने एचआईवी/एडस से जागरूकता व बचाव के लिए कई कदम उठाए हैं। स्थानीय कावा समितियों के माध्य से देश के विभिन्न भागों में इसके लिए केरिपुबल के विभिन्न स्थानों पर कई कार्यशालाएं, सेमिनार तथा आवधिक भाषण आयोजित किए जा रहे है।
संस्था ने स्थानीय कावा समितियों के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों में नशे के आदि कार्मिकों के लिए नशा मुक्ति कार्यक्रम के तहत केरिपुबल के विभिन्न स्थानों पर कई कार्यशालाएं, सेमिनार तथा आवधिक भाषण आयोजित किया जा रहे है। फरवरी 2006 के दौरान एसपीवाईएम के सहयोग से एस0सी0आर0 में शराब सेवन के आदि कार्मिकों के लिए नशा मुक्ति कार्यक्रम चलाया गया।
कावा के स्थानीय केन्द्रों के स्वयंसेवक 10 वीं तथा 12 वीं स्तर के विद्यर्थियों के लिए मुफ्त टयूशन की व्यवस्था करते है। कावा के सभी स्थानीय केन्द्र बल के जवानों के परिजनों के साथ साथ स्थानीय नागरिकों के लिए भी प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन कर रहे है। यह संस्था बल के जवानों के बच्चों एवं परिजनों के लिए कम्प्यूटर का बुनियादी प्रशिक्षण भी प्रदान कर रही है।
यह एक बहुत ही संवेदनशील तथा ज्वलंत मसला है। इसलिए कावा की केन्द्रीय कार्यकारिणी समिति ने इस क्षेत्र में अग्रणी एनजीओ से हाथ मिलाया है। तदनुसार, हमारी संस्था ने बल में सेवारत महिलाओं एवं पुरूषों तथा कावा के सदस्यों को इस मसले पर लायर्स कलेक्टीव वूमेन्स राईट इनिसिएटिव(डब्ल्यूआरआई), नई दिल्ली के सहयोग से जागरूक कर रहें है।
इसी के तहत हमारी संस्था ने लायर्स कलेक्टीव वूमेन्स राईट इनिसिएटिव (डब्ल्यूआरआई), नई दिल्ली को कावा की केन्द्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्यों, एन0सी0आर0 के वरिष्ठ अधिकारियों, महानिदेशालय के अधिकारियों, महिला अधिकारियों तथा दिल्ली स्थित यूनिटों में तैनात कार्मिकों को उनकी पत्नियों सहित इस मसले पर बातचीत के लिए दिनांक 25 मई 2006 को आमंत्रित किया था। बातचीत का मुददा घरेलु हिंसा अधिनियम 2005 के संदर्भ में घरेलु हिंसा तथा उसका कानूनी उपचार था। इस बातचीत के सत्र के दौरान यह पाया गया कि वहां पर उपस्थित अधिकांशत: सदस्य इस मसले पर बिल्कुल अनभिज्ञ थे। इस कार्यशाला से हिंसा के कारणों, पीडि़त के अधिकार इत्यादि तथा परिवारों में होने वाली घरेलु हिंसा की स्थिति को कैसे टाला जा सकता है, के बारे में उनकी जानकारी में बढ़ोतरी हुई। इस सत्र से, यह निष्कर्ष निकला कि महिलाओं पर होने वाले अत्याचार तथा दुर्व्यवहार को रोकना चाहिए तथा सभी स्तरों पर उनके सम्मान की रक्षा की जानी चाहिए।
स्थानीय कावा समितियां पल्स पोलियों उन्मूलन कार्यक्रमों के लिए सदैव स्थानीय स्वास्थ्य प्राधिकारियों को सहयोग प्रदान करती रहती है। जवानों तथा उनके परिवारजनों को रक्तदान करने के लिए भी कावा की प्रतिनिधि प्रोत्साहित करती रहती है।