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हैती मिशन

(क) पृष्ठभूमि

सन् 1986 में हैती जीनक्लोड दुवेलियर के शासन में सरकारी राष्ट्रीय परिषद के नियंत्राणाधीन था। यह देश 1986 से 1991 तक राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजरते हुए एक सैनिक सरकार से दूसरी सैनिक सरकार के शासन के अधीन रहा। इस देश को चार सैन्‍य शासन परिवर्तनों का सामना करना पड़ा। वर्ष 1991 में सैनिक सरकार का युवा पादरी जनी बरतरान्ड अरिस्टाईड द्वारा तख्ता पलटा गया, जिन्‍होंने नवम्बर, 1990 के चुनाव के पश्चात् राष्‍ट्रपति का कार्यभार संभाला। केवल 7 माह के पश्चात् सितम्बर, 1991 में ‘’जनरल कैडर’’ द्वारा उसका तख्ता पलट दिया गया। पादरी जीन बरतरान्ड अरिस्टाईड ने अमेरिकी सैना के पास संयुक्त राज्य अमेरिका में शरण ली जो राष्‍ट्रपति बिल किलैंटन के आदेश से हैती में प्रवेश करने के लिए तैयार थी। अक्‍तूबर 1994 के दौरान हैती में चुनावों का आयोजन करके अरिस्‍टाईड के सत्ता में वापसी के लिए अनुकूल वातावरण मौजूद था।

सी.आर.पी.एफ. और आर.ए.एफ. यूनिटों से 120 पुरूष कार्मिकों की एक सैनिक टुकड़ी का गठन किया गया और जिन्‍हें 103 बटालियन नई दिल्ली में प्रशिक्षण देकर सुसज्जित किया गया। इस सैन्य टुकड़ी को 31 मार्च 1993 को हैती के लिए रवाना किया गया। इस सैन्य टुकड़ी को उस दौरान कम्पनी का नाम दिया गया जिसने हैती में संयुक्त राष्ट्र मिशन के अंतर्गत अमेरिकी सैन्य टुकड़ी के साथ मिलकर 504 सैन्य पुलिस बटालियन (ड्रैगन फाईटर) के एक दस्ते के रूप में हैती में चुनावों के दौरान विभिन्न ड्यूटियों का निर्वहन करते हुए कार्य किया।

हैती मिशन

(ख) निष्पादित की गई ड्यूटियां :-

इस सैन्य टुकड़ी द्वारा निष्पादित की जा रही ड्यूटियों में मोबाइल पट्रोलिंग, गहन पट्रोलिंग, पुलिस स्टेशनों और राष्ट्रीय एस्कार्ट ड्यूटी सम्मिलित है। उनके द्वारा कैदियों को भी प्रशिक्षित किया गया। हैती में राष्ट्रपति चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न कराने के लिए किए गए विशेष प्रबंधों के अंतर्गत ऐसी सभी ड्यूटियों का निष्पादन किया गया।

श्री आर.एस.एच.एस. सहोता तत्कालीन कमाण्डेंट इस सैन्य टुकड़ी के कमाण्डर थे। हैती में इस सैन्य टुकड़ी की शानदार उपलब्धि के लिए इस सैन्य टुकड़ी को यू.एस. आर्मी प्रशंसा पदक, यू.एस. आर्मी उपलब्धि पदक-5, प्रशंसा सिक्के-80 के अलावा सभी 120 कार्मिकों को संयुक्त राष्ट्र पदक से अलंकृत किया गया है। सौंपे गए कार्यों को सफलापूर्वक पूर्ण करने के पश्चात् इस सैन्य टुकड़ी को नवम्बर 1995 के दौरान हैती से स्वदेश वापस भेजा गया।

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