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मध्यांचल के बारे में 

मध्यांचल की स्थापना 7 अगस्त, 2009 को रायपुर, छत्तीसगढ़ में मध्य भारत, विशेष रूप से छत्तीसगढ़ और पड़ोसी राज्यों पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और ओडिशा में वामपंथी उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए सीआरपीएफ के परिचालन प्रयासों के समन्वय के प्राथमिक मिशन के साथ की गई थी।

इन क्षेत्रों में, सीआरपीएफ को नक्सलियों द्वारा प्रस्तुत गंभीर खतरे का मुकाबला करने का काम सौंपा गया है। मध्यांचल का मुख्यालय कालांतर मे 23 जुलाई, 2010 को कोलकाता में स्थापित किया गया , इस क्षेत्र में 8 सेक्टर , 24 रेंज, 19 समूह केंद्र शामिल हैं , 92 प्रशासनिक बटालियन , 94 परिचालन बटालियन , 9 संयुक्त अस्पताल , 2 केंद्रीय कार्यशालाएँ , 3 आयुध कार्यशालाएँ , 3 केंद्रीय प्रशिक्षण महाविद्यालय 3 नव आरक्षी प्रशिक्षण केंद्र तथा 1 विशेष उपकरण प्रशिक्षण संस्थान भी शामिल है

सीआरपीएफ के बहादुर और समर्पित सैनिकों और अधिकारियों ने दूरदराज और कठिन इलाकों में अथक परिश्रम किया है, जिससे राष्ट्र विरोधी तत्वों द्वारा उत्पन्न खतरों को नियंत्रित करने में पर्याप्त सफलता प्राप्त हुई  कई अधिकारियों एवं सैनिकों ने अपने कर्तव्यों के निर्वहन मे जीवन का बलिदान भी दिया हैं जो कभी भुलाया नहीं जा सकता है

मध्य अंचल भारत में तीन अत्यधिक संवेदनशील मंदिरों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैः जो मथुरा में कृष्ण जन्म भूमि-शाही ईदगाह मस्जिद परिसर, अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद परिसर और वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद है

निम्नलिखित अधिकारियों ने मघ्य अंचल की स्थापना के उपरान्त