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सी.आर.पी.एफ. अकादमी 1961 से बल के भविष्य के नेतृत्वकर्ता (सहायक कमाण्डेंट) को प्रशिक्षित करने एवं संवारने का कार्य कर रहीं है। अकादमी प्रत्येक अधिकारी को इस मनोयोग से प्रशिक्षित करती है कि युवा नेतृत्व सामरिक, शारीरिक, पेशेवर योग्यता से सभी स्थितियों में उचित निर्णय लेने के लिए तथा उसका सामना करने के लिए सक्षम हो। सी.आर.पी.एफ. अकादमी एक सामान्य नागरिक को एक सैनिक, सज्जन और एक अधिकारी के रूप में तैयार करने/ढालने के लिए समर्पित है। प्रत्येक देश के विकास व उन्नति में शांति और सुरक्षा की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। सी.आर.पी.एफ.अकादमी बल के भविष्य के नेतृत्वकर्ताओं को अपनी दल का कर्मठता से नेतृत्व करने के लिए प्रशिक्षित करती है।
सी.आर.पी.एफ. अकादमी का निर्माण आंतरिक सुरक्षा अकादमी से सीधे नियुक्त राजपत्रित अधिकारियों का बुनियादी प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए और अन्य विशिष्ट, संगठनात्मक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पाठ्क्रमों के लिए किया गया है।यह अकादमी 23 मार्च 2002 को अस्तित्व में आया और इसकी आधारशीला 23 मार्च 2002 को तत्कालीन गृह मंत्री एवं उप प्रधानमंत्री माननीय श्री लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा रखी गर्इ थी। 18 अक्तूबर 2005 से सीधे नियुक्त हुए राजपत्रित अधिकारियों के प्रथम बैच (37वें बैच) को प्रशिक्षित करने का कार्य आरंभ किया गया था। ‘‘हमारे प्रयास से प्रतिभा प्रकट हो’’
‘‘तेजस्वी नवधीतमस्तु’’ सी.आर.पी.एफ. अकादमी के आदर्श वाक्य है जिसका अर्थ है ‘‘हमारे प्रयास से प्रतिभा प्रकट हो’’ जो ‘‘कथोपनिशद्’’ से लिया गया है। अकादमी का प्रयास है कि प्रशिक्षुओं के बीच उपयुक्त संगठनात्मक लोकाचार पैदा करने के लिए रचनात्मकता और सामूहिक ज्ञान प्रज्वलित करे। मानव क्षमता को बढ़ावा देने के लिए अकादमी समग्र दृष्टिकोण विकसित करने का प्रयास करती है। नैतिक और परिचालन उन्मुखीकरण के प्रयास काफी मुल्यवान है जो लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए रणनीति, शारीरिक सहनशक्ति और धैर्य से बुद्धिमान उपयोग पर आधारित है। नेतृत्व की असली परीक्षा वह नहीं है कि सफलता में आपके सहकर्मी आपका साथ दे अपितु यह है कि वे मुश्किल वक्त तथा हार में भी आपका साथ दें।वे तब तक ऐसा नहीं करेंगे जब तक उन्हें आपकी र्इमानदारी पर भरोसा तथा यह विश्वास न हो जाय कि आप उनका पूरा ध्यान रखते हैं।
अकादमी प्रयास करती है कि वे ऐसी प्रशिक्षण सामरिकता अपनाएँ कि युवा प्रशिक्षणाथ्र्ाी के व्यवहार में परिवर्तन लाया जा सके जिनसे आंतरिक सुरक्षा प्रबंधन हेतु प्रभावशाली प्रशिक्षण हो सके। अनुभवजन्य निष्कर्ष से अकादमी द्वारा निम्नलिखित पर बल दिया गया है :-
आंतरिक सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए यह आवश्यक है कि कमान्डर ही दल का नेतृत्व करे तथा आगे रहे। सफलता उत्कृष्ट शारीरिक योग्यता, तकनीकी उत्कृष्टता तथा लड़ार्इ के क्षेत्र में होने वाली कठिनार्इयों को झेलने की क्षमता पर निर्भर करती है। 50 सप्ताह के प्रशिक्षण कार्यक्रम को बहुत ही वैज्ञानिक ढंग से बनाया गया है और बल के विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञ व अच्छे प्रशिक्षकों के द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है। ऐसी ड्रिल, पी.टी. गुम्मट, निशानेबाजी और खेल के रूप में विभिन्न खण्डों में वर्गीकृत किया जाता है।
ओरिएन्टेशन सप्ताह में प्रशिक्षु अधिकारियों को आउटडोर लड़ा़र्इ की वास्तविकताओं से अवगत कराया जाता है। इन्हें कठिन शारीरिक व्यायाम, ड्रिल, बीओएसी, युएसी, रूट्स मार्चेज, लम्बी दूरी की दौड़़, बीपीर्इटी, हथियार प्रशिक्षण, खेलकूद, फॉयरिंग, फील्ड फॉयरिंग आदि का कठिन प्रशिक्षण दिया जाता है। आंतकवादी समूहों द्धारा उत्तपन्न की गर्इ विषम परिस्थितियों से जूझने के लिए रणनीति अभ्यास (टैक्टीकल एक्सरसार्इज) बहुत महत्वपूर्ण है। इसीलिए प्रशिक्षु को कार्डन, तलाशी तथा घात लगाकर हमला/प्रतिकार घात हमला, छापा मारना, गश्त, आपातकालीन ड्रिल, तलाशी का प्रशिक्षण आदि जैसे विभिन्न टैक्टीकल एक्सरसार्इज करायी जाती है तथा विध्वंसक अभियान का भी प्रशिक्षण दिया जाता है जिससे वे उत्तेजक परिदृश्य में संक्षिप्त जानकारी देने के बाद ऑंखोदेखी रूपरेखा, सैंड मोडल, एस.ओ.आर्इ. नक्सा तथा उपग्रह परिकल्पना तैयार करके योजना बनाकर कार्रवार्इ कर सकते है। प्रशिक्षु अधिकारियों को बल में लाए गए आधुनिक हथियारों व उपकरणों से भी परिचित कराया जाता है। प्रशिक्षु अधिकारियों को उत्तरजीविता एवं युद्ध के दौरान जीवन रक्षा अभ्यास कराया जाता है ताकि वे युद्ध के मैदान में जब बम/गोले/हथगोले तथा बुलेट् चलते है तब उसकी वास्तविक परिदृश्यों का विद्धुतीय/संवेदनशीलता का अनुभव निकटता
निशानेबाजी का अच्छा कौशल जवानों के लिए अत्यंत आवश्यक है। वर्दीधारी अपने हथियार को अपने हाथ के विस्तार भाग के समान समझें। अकादमी के पास पर्याप्त संसाधन है जैसे- फूल बोर शूटिंग रैंज एवं 25/50 मिटर का फायरिंग करने हेतु बैफल फायरिंग रेंज है जो प्रशिक्षुओं को सटीक निशानेबाज बनाता है। फायरिंग कौशल विकसित करने की दिशा में नर्इ सामरिक दृष्टिकोण का लगातार अनुभव होता है। सभी प्रशिक्षुओं को अपने-अपने फायरिंग कौशल को सुधारने के लिए इलेकट्रोनिक लक्ष्य व छोटे लक्ष्यों को तत्काल खरीद कर सकारात्मक सुदृढीकरण प्रदान करने हेतु मुहैया कराया जाता है।
केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के विभिन्न थिएटर में तैनाती की परिचालनिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुये अकादमी में एक सम्पूर्ण बैटल आिब्ष्टकल असाल्ट कोर्स प्रशिक्षु अधिकारियों के प्रशिक्षण हेतु उपलब्ध कराया गया है। बी0 ओ0 ए0 सी0 पर प्रशिक्षण प्रशिक्षु अधिकारियों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से सुदृढ़ बनाता है जिससे कि वे भावी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो।
प्रशिक्षु अधिकारियों को चट्टानों पर चढ़ना, तैराकी, घुड़सवारी तथा अन्य प्रमुख शिक्षाविदों की यात्रा वृतांत की प्रशिक्षण इस उद्देश्य से दी जाती है कि वे ऑलराउंडर जैसे गुण अपने में विकसित कर सके तथा वामपंथी उग्रवादियों के वास्तविकता से अवगत हो सके। यह विविध प्रकार के जोखिम उनकी ताकत है जो उन्हें केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के कर्तव्यों जैसे-जम्मू-कश्मीर में दंगा में या चुनाव ड्यूटियों के दौरान सांप्रदायिक दंगों से निपटने में जल्द बदलाव कर उसके अनुकूल ढालकर उससे निपटने में सक्षम बनाता है।
जंगल प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं को कठिन परिस्थितियों और प्रतिकूल वातावरण में प्रशिक्षित किया जाता है। उन्हें मुख्यत: जंगल क्राफ्ट टेक्टिक्स और जंगल सर्वाइवल का प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्हें विशेष रूप से प्रतिकूल परिस्थितियों में उनके कठोर मनोदशा को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जता है। प्रारंभिक चरण में बेसिक फिल्ड क्राफ्ट व टेक्टिक्स का प्रशिक्षण दर्जवार तरीके से सैद्धांतिक ज्ञान, प्रदर्शन व अभ्यास के द्वारा दिया जाता है। दूसरे चरण में उग्रवादी विरोधी अभियान के संचालन की प्रशिक्षण दिया जाता है। तीसरे चरण में लम्बे समय तक जंगल में रहने व निरंतर अभियानों के संचालन का प्रशिक्षण दिया जाता है। यह चरण प्रशिक्षुओं को गुरिल्ला युद्ध में पारंगत करने में सहायक होता है। प्रकृति के सानिध्य में रहकर वे प्रतिकूल परिस्थितियों में निर्वहण की कला में निपुण हो जाते है। अंत तक वे इतने आत्म विश्वासी हो जाते है कि किसी भी प्रकार की चुनौती भी उनके निश्चय के आगे टिक नहीं सकती।
प्रशिक्षुओं के अंदर छिपी प्रतिभा और कला को उजागर करने के लिए विभिन्न क्लबों जैसे- पर्यावरण क्लब, कानून क्लब, साहित्यिक लेख व वाद-विवाद क्लब, सांस्कृतिक क्लब, फोटोग्राफी क्लब की शुरूआत कर अकादमी के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा गया। प्रशिक्षु अधिकारियों के लिए भाषाओं को सीखना भी इस पाठ्यक्रम का हिस्सा है ताकि वे कम-से कम हिंदी, अंग्रेजी तथा एक क्षेत्रीय भाषा(कार्य स्थल की) को आसानी से समझ व बोल सकें। प्रशिक्षुओं को उनके भाषा की अभिव्यक्ति को सुधारने के लिए पर्याप्त अवसर दिए जाते हैं। समय-समय पर प्रमुख व्यक्तियों के पारसपरिक संपर्क और मनोवैज्ञानिक तथा व्यवहार विशेषज्ञ द्वारा आयोजित कार्यशालाओं द्वारा प्रशिक्षुओं के व्यिक्त्व विकास के लिए मार्गदर्शन किया जाता है।
अकादमी में प्रशिक्षुओं के संवाद कौशल और पेशेवर विषयों के साथ-साथ सामाजिक विषयों पर विश्लेषणात्म सोच का विकास किया जाता हैै। इसलिए, साहित्यिक एवं वाद-विवाद क्लब ‘‘अभिव्यक्ति’’ की सुरूआत 04 अगस्त 2010 को की गर्इ। क्लब प्रशिक्षुओं को अपनी प्रतिभा में निखार लाने के लिए एक मंच प्रदान करता है एवं पेशेवर महत्व के मामलों पर समझ और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति को बढ़ावा देता है। व्यक्तित्व के विविध पहलूओं पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए एक क्लब में तीन सह समूहों को बनाया गया है। ये समूह - साहित्यिक क्लब, जागरूकता क्लब और लेखक क्लब है। अकादमी के ध्येय वाक्य को सच करते हुए प्रतिभाओं के तेज को उभारने में इस क्लब ने भरपूर सहयोग किया है। प्रशिक्षु ऐसी साहित्यिक गतिविधियों का काफी उत्साह और उमंग के साथ अनुसरण कर रहे है तथा वर्ष के अन्त में प्रशिक्षण सत्र समाप्त होने पर एक वार्षिकी पत्रिका ‘‘ एॅन्डेव्र ‘‘ प्रकाशित करते है।
तस्वीर एक पल को कैद करती है पर यह सदा जीवंत और अनंतकाल के लिए संरक्षित रहती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए सी.आर.पी.एफ. अकादमी के फोटोग्राफी क्लब ‘‘प्रतिबिंब’’ का उद्घाटन दिनांक 27 अगस्त 2010 को किया गया। फोटोग्राफी मानव सभ्यता के लिए एक वरदान है। इस माध्यम के खोज से पहले मानव सभ्यता के पास दृश्य रिकॉर्डिग, स्मरणीय उपलब्धि या जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों को पुन: दृष्टिगत करने का कोर्इ सिद्धांत नहीं था। आपराधिक न्याय प्रणाली और प्रशासन में भी फोटोग्राफी का बहुत बड़ा सहयोग है। विधि न्यायालयों में मूल फोटोग्राफ को सबूत के तौर पर माना जाता है। फोटोग्राफ में दिखाए गए साक्ष्य प्रथम दृष्टया में सबूत के तौर पर विश्वसनीय एवं मान्य है जब तक कि उसमें उपलब्ध सच्चार्इ को छुपाते हुए, अन्य साक्ष्य प्रस्तुत करने के उद्देश्य से किसी के द्वारा उसमें छेड़छाड़ नहीं किया गया हो या विशेषज्ञों द्वारा सच्चार्इ से परे अन्य तथ्य प्रस्तुत किया जा रहा हो। हलांकि, अभियोजन पक्ष के लिए सबूत की जिम्मेदारी सिर्फ इतना है कि कथित अपराधी के प्रति संदेह दूर हो। इसके अलावा फोटोग्राफ किसी कहानी की पुष्टि के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
अकादमी के पास एक सांस्कृतिक क्लब है जो अधिकारियों में रचनात्मक क्षमता का विकास करती है। अधिकारियों में प्रचुर मात्रा में प्रतिभा छिपी होती है और इसे वे स्वयं कलात्मक रूप में अभिव्यक्त करने के इच्छुक रहते है जो इनके जीवन शैली को समृद्ध करने में सहयोग करेंगी। विभिन्न विषयवस्तुओं पर प्रत्येक माह में इस तरह के सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। कला और संगीत, नाटक आदि स्वयं को अभिव्यक्त करने का सबसे अच्छा माध्यम है, इसके अतिरिक्त यह व्यापक योग्यता को भी बढाता है। परवाज का मुख्य उद्देश्य प्रशिक्षु अधिकारियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम/नाइट्स/ नाटकों को बढ़ावा देना और उसे आयोजित करना है तथा समाजिक भार्इचारे को बढ़ावा देना है। सांस्कृतिक क्लब भारत के विविध संस्कृतियों के बैठक के लिए एक मंच प्रदान करती है जो कि केरिपुबल के विशेषताओं में से एक है। यह बल विभिन्न क्षेत्रों, भाषाओं तथा धर्मो के विविध पृष्ठभूमि के लोगों से मिलकर गठित हुआ है।
‘‘कानून’’ शब्द से आमतौर पर यह अनुमान लगाया जाता है कि यह किसी व्यक्ति को कुछ निश्चित नियमों एवं सीमाओं के अंतर्गत रहकर कार्य करने को बाध्य करता है। परंतु यह अवधारणा पूरी तरह से सच नहीं है क्योंकि कानून भी कुछ चीजों की अनुमति प्रदान करता है और व्यक्तियों को निश्चित सीमा के अंतर्गत एक दिशा प्रदान करता है जिससे आबादी के एक बड़े हिस्से को अधिक-से अधिक लाभ हो सके। आमतौर पर कानून किसी भी खेल से पूर्व खेल के नियमों जैसा है। प्रत्येक व्यक्ति यह चाहता है कि उसे आजादी अधिकार के रूप में मिले। लेकिन यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि दिए गए अधिकारों के सामंजस्य में उसे कुछ कर्तव्यों का पालन भी करना होगा। ताकि एक की आजादी दूसरे की आजादी के लिए बाधा न बनकर, सह अस्तित्व वाले परिवेश का निर्माण करें और समाज का बहुआयामी विकास हो सके। इस परिपेक्ष्य में 25 सितम्बर 2010 को विधि क्लब (लेक्स कोर्पस) का सृजन हुआ।
पर्यावरण क्लबों की परिकल्पना प्र्यावरण के मुद्दों पर जागरूकता फैलाने, वृक्षारोपन की संस्कृति को सुदृढ़ करने आस पास के क्षेत्रों की साफ-सफार्इ तथा अपने आप को प्रकृति के नजदीक लाने का एक संगठित प्रयास होता है। सरकारी तंत्र का एक अंग होने के नाते हमारी जिम्मेदारियांॅं और भी बढ़ जाती है।
प्रकृति संरक्षण की दिशा में किए गए समर्पित प्रयास वर्तमान युग में प्राकृतिक अपदाओं की बढ़ती आवृति को कम करने में सहायक होगा। इस भावना से प्रेरित होकर अकादमी दिनांक 05/06/2015 को उत्साहित प्रकृति प्रेमी द्वारा ‘‘तारूमित्रा’’ क्लब की शुरूआत की गर्इ।
प्रशिक्षु अकादमी में अनुशासन व समयवद्धता के महत्व को समझते हैं। पी.टी. के विभिन्न मॉड्यूल्स उनकी शारीरिक क्षमता के संवर्धन हेतु चलाए जाते है। इसके अलावा बल में ड्रिल(वर्दी), डे्रस की अहमियत से भी रूबरू होते है। आंतरिक पाठ्यक्रम में वे कानून के विभिन्न अधिनियमों एवं नियमों, कंपनी के प्रबंधन और प्रशासन, जांच-पड़तालों और अपने कर्तव्यों और सी.आर.पी.पी.एफ. की भूमिका से अवगत होते है।
यह अकादमी सी.आर.पी.एफ. के अधिकारियों के पेशेवर मूल्य संवर्धन के लिए कटिबद्ध है व इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए विकास का केन्द्र बनने को प्रयासरत है। अकादमी में बी.पी.आर. एंड डी. के माध्यम से सामाजिक मुद्दों पर कार्यशलाओं एवं संगोष्टियों का आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त अमेरिकी सरकार द्वारा प्रायोजित आतंकवाद विरोधी कार्यक्रमों (ए.टी.ए. कोर्स) का आयोजन भी किया जाता है। निकट भविष्य में हम प्रशिक्षण के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास करने के लिए प्रयास कर रहे हैं।