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नीमच,जो कि नॉर्थ इंडिया माउंटेड आर्टिलरी एंड कैवेलरी हेडक्वार्टर का संक्षिप्त रूप है,सन 1817 से 1932 तक ग्वालियर रियासत के अन्तर्गत एक ब्रिटिश सेना छावनी रही है और उसके बाद इसे एक ब्रिटिश म्यूनिसिपल बोर्ड के अन्तर्गत रखा गया था। नीमच छावनी ने सन1987 के भारतीय विद्रोह में महत्वपूर्ण अपनी भूमिका निभाई।
27 जुलाई1939 को,विद्रोहों को दबाने और कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए अंग्रेजों द्वारा एक स्वदेशी पुलिस बल को खड़ा किया गया था। इस बल को क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस नाम दिया गया और इसका मुख्यालय नीमच में था। भारत की स्वतंत्रता के बाद, इस क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस को सीआरपीएफ अधिनियम1949 के एक अधिनियम के माध्यम से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के रूप में पुनः नामित किया गया था।
प्रारंभ में, सीआरपीएफ की बटालियनें अपनी प्रशिक्षण प्लाटून के माध्यम से अपनी आवश्यकताओं के अनुसार बुनियादी और विशेष प्रशिक्षण का प्रबंधन करती थीं। समय बीतने के साथ और सीआरपीएफ के एक बटालियन से बारह बटालियनों के विस्तार ने बल स्तर पर बुनियादी,विशिष्ट और कैडर पाठ्îक्रमों को पूरा करने के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता समझी गयी। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, भारत सरकार ने 04 जून1960 को बल के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र को मंजूरी दी जिसे केंद्रीय प्रशिक्षण कॉलेज का नाम दिया गया और इसका संचालन 01 दिसम्बर1960 से शुरू हुआ था। सीआरपीएफ की 7वीं बटालियन के मुख्यालय को नीमच से रामपुर स्थानांतरित करने के साथ, इस संस्थान को नीमच में 7वीं बटालियन द्वारा खाली किए गए ऐतिहासिक विक्टोरिया बैरक/आवास का उपयोग करके इसे वहॉ पर स्थापित किया गया,जहां प्रशिक्षण सुविधाएं आसानी से उपलब्ध थीं। तदनुसार,सीआरपीएफ के पहले समर्पित प्रशिक्षण केंद्र,केंद्रीय प्रशिक्षण कॉलेज ने01 दिसम्बर1960 से नीमच में काम करना शुरू कर दिया।
केंद्रीय प्रशिक्षण महाविद्यालय,सीआरपीएफ,नीमच ने अपने पहले प्राचार्य लेफ्टिनेंट कर्नल संवाल सिंह के कुशल नेतृत्व में बल के विभिन्न रैंकों को बुनियादी और सेवाकालीन प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए 1 दिसंबर 1960 से कार्य करना शुरू कर दिया। प्रारंभ में, केवल रिक्रूट विंग बनाया गया था। 1961 में कैडर विंग को भी जोड़ा गया। समय बीतने के साथ, सीधे भर्ती किए गए अधीनस्थ अधिकारियों/अवर अधिकारियों को भी इस संस्थान में बुनियादी प्रशिक्षण के लिए भेजा गया था। बाद में 1968 में आरटीसी-बरवाहा और सीटीसी-दो,आवडी की स्थापना के बाद,कांस्टेबल रंगरूटों और उप निरीक्षक रंगरूटों के बुनियादी प्रशिक्षण को क्रमशः आरटीसी बरवाहा और सीटीसी-दों में स्थानांतरित कर दिया गया। सीआरपीएफ अधिकारियों को बुनियादी प्रशिक्षण देने का कार्य शुरू में सीपीटीसी (सेंट्रल पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज) माउंट आबू के पास था। सीआरपीएफ अधिकारियों के पहले बैच 1961और दूसरे बैच 1962 बैच को आईपीएस प्रोबेशनरों के साथ प्रशिक्षित किया गया था।1963 से,डैगोज के बुनियादी प्रशिक्षण को नियमित आधार पर 1974 तक इस संस्थान में स्थानांतरित कर दिया गया। 1975 में माउंट आबू के स्थापना होने पर, डैगोज के बुनियादी प्रशिक्षण को माउंट आबू में स्थानांतरित कर दिया गया था। हालांकि, बीच में, प्रशिक्षुओं की संख्या में वृद्धि के कारण डैगाजे के 24वें और 25वें बैच का बुनियादी प्रशिक्षण आईएसए के विस्तार के रूप में सीटीसी-नीमच में फिर से चलाया गया। इस संस्थान ने आपातकालीन कमीशन प्राप्त अधिकारियों (ईसीओ), राज्य पुलिस अधिकारियों, जिनका सीआरपीएफ में विलय हो गया,के साथ-साथ आरएसी,एमएसएपी,मालाबार पुलिस आदि जैसे राज्य सशस्त्र पुलिस इकाइयों के लिए पुनः अभिविन्यास पाठ्यक्रम(रि-आरिऐंटशन कोर्स) भी चलाया।
1975 से पहले,बल में मोटर परिवहन के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण को तदर्थ आधार पर या तो ग्रुप केंद्रों में या यूनिट स्तर पर प्रबंधित किया जाता था,जिससे प्रशिक्षण और प्रदर्शन के सामान्य मानक में विविध और उल्लेखनीय अंतर होता था। इसे दूर करने के लिए,बल के मोटर परिवहन स्टाफ के तकनीकी प्रशिक्षण को 1-1-1976 से केंद्रीकृत किया गया था और उसी तिथि से,इस कॉलेज में तकनीकी विंग,अस्तित्व में आया। शुरुआत में इसकी शुरुआत सिपाही/जीडी के ड्राइविंग कैडर के लिए प्रशिक्षण से हुई थी और बाद में इस विंग के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में विभिन्न पाठ्यक्रमों को जोड़ा गया है।
विभिन्न अन्य प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना के मद्देनजर,सीटीसी नीमच अब अधिकारियों सहित सभी रैंकों के लिए निम्नलिखित पाठ्यक्रम संचालित कर रहा है : -
प्रशिक्षण/प्रशासन के सुचारू संचालन के लिए केंद्रीय प्रशिक्षण महाविद्यालय नीमच को चार विगों में बांटा गया है अर्थात फिजिकल विंग, वेपन एंड टैक्टिक्स विंग, टेक्निकल विंग और प्रशासन विंग।
1960 से अब तक कॉलेज ने 15 लाख से अधिक बल के कार्मिकों को बुनियादी,विशेषज्ञता प्राप्त/सेवा में और पदोन्नति पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षित किया है। इसके अलावा, पिछले 20 वर्षों के दौरान संस्थान ने राज्य पुलिस, सीएपीएफ, ओएनजीसी, आईबी, एनसीबी आदि के 2400 कर्मियों को विभिन्न पाठ्यक्रमों यानी यूएसी, पीटी, हथियार और रणनीति, ड्रिल और ड्राइविंग/मैकेनिक पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षित किया है। इसके अलावा श्रीलंका पुलिस के 132 और नेपाल पुलिस के 10 कर्मियों सहित 142 विदेशी पुलिस कर्मियों को भी इस कॉलेज द्वारा प्रशिक्षित किया गया है।
अपनी प्रशिक्षण विशेषज्ञता की मान्यता के रूप में, इस संस्थान को वर्ष 2011-12 के लिए प्रशिक्षण में नवीनता के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण केंद्र के रूप में सम्मानित किया गया। इसे वर्ष 2015 में सर्वश्रेष्ठ पुलिस प्रशिक्षण संस्थान (एनजीओ श्रेणी) के लिए केंद्रीय गृह मंत्री की ट्रॉफी से भी सम्मानित किया गया है।
इस संस्थान के कुल 09 प्रशिक्षकों को पुलिस प्रशिक्षण में उत्कृष्टता के लिए केंद्रीय गृह मंत्री पदक से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा इस संस्थान के 12 कर्मियों को अति-उत्कृष्ट और 17 कर्मियों को उत्कृष्ट सेवा पदक भी प्राप्त हुआ है। कॉलेज अपने आदर्श वाक्य उत्कृष्टता के लिए प्रतिबद्ध के लिए समर्पित रूप से प्रयास कर रहा है।