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प्राचार्य के डेस्क से......।
केंद्रीय प्रशिक्षण महाविद्यालय (दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी) के0रि0पु0 बल, रांची, झारखण्ड जिसे पहले सिग्नल ग्रुप केंद्र के नाम से जाना जाता था, एवं 1970 में नीमच म0प्र0 में अस्तित्व में आया।
केन्द्रीय प्रशिक्षण महाविद्यालय (दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी ) का इतिहास अक्टूबर 1952 के पहले से है, जब 112 कार्मिकों के सिग्नल की टुकड़ी को नीमच (मध्य प्रदेश) में एडहाक वायरलेस प्रशिक्षण केन्द्र नीमच (मध्य प्रदेश) में प्रशिक्षण दिलाया गया। नवम्बर 1954 में रेडियों आपरेटर बुनियादी पाठयक्रम शुरू किया गया था। जून 1970 में इसका स्तरोन्नयन कर इसे केंद्रीय प्रशिक्षण महाविद्यालय (दूरसंचार) बनाया गया | बढे हुवे अविष्कार और जिम्मेदारी ने दिसम्बर 1986 के दौरान सिग्नल ग्रुप केंद्र / केंद्रीय प्रशिक्षण महाविद्यालय (दूरसंचार) को नीमच से रांची में संचालित करने का निर्णय लिया गया | आगे चल कर इसे प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र, बनाने के लिए 2006 में सिग्नल ग्रुप केंद्र को समाप्त कर दिया गया और केंद्रीय प्रशिक्षण महाविद्यालय (दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी) ने स्वतंत्र रूप से बल के प्रशिक्षण संस्थान के रूप में कार्य करना शुरू कर दिया था।
संस्थान में मुख्यतः कोर्स संचालित किये जाते है इनमे से निम्न इस प्रकार है |
1. राजपत्रित अधिकारियो के लिए बुनियादी तकनिकी प्रशिक्षण
2. अधीनस्थ अधिकारियों के लिए बुनियादी उन्नयन और पद्दोंनती प्रशिक्षण
3. बुनियादी उन्नयन और पद्दोंनती प्रशिक्षण:-
क) रेडिओ आपरेअर्स।
ख) रेडिओ तकनीशियन और रेडिओ फिटर।
ग) क्रिप्टो आपरेटर।
4. अधिकारियों और अन्य कार्मिको के लिए कंम्प्यूटर प्रशिक्षण।
5. नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर और हार्डवेयर मेंटेनेंस के लिए प्रशिक्षण।
6. जीपीएस/जीआईएस एवं सैटेलाईट फोन के संचालन हेतु प्रशिक्षण ।
7. संचार और आईटी में अन्य राज्य और केंद्रीय बल के सदस्यों के लिए प्रशिक्षण।
8. एमओयू के अनुसार अन्य देशो द्वारा नामित कार्मिकों को प्रशिक्षण देना।
पुलिस बल के लिए दूरसंचार और आईटी के क्षेत्र में आपरेटरों और तकनीशियन के लिए बुनियादी प्रशिक्षण प्रदान करने की अपनी शुरूआत से कालेज ने एक लंम्बा सफर तय किया और देश के प्रशिक्षण संस्थानों में प्रमुख है| संस्थान में आधुनिक सुविधाओं के साथ इंटरैक्टिव मल्टीमीडिया बोर्ड के साथ स्मार्ट क्लास रूम के अलावा, 04 सुव्यवस्थित कंम्प्यूटर लैब है। दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी के विभिन्न पहलुओं पर हर साल लगभग 2000 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया जाता है।
वर्तमान परिदृष्य में, महामारी (कोविड-19) के कारण इस संस्थान ने विभिन्न संचार उपकरणों, कंम्प्यूटरों और संबंधित क्षेत्र आदि पर आनलाईन कक्षाएं आयोजित करने के अतिशीघ्र पहल की |
इस संस्थान के द्वारा विकसित किया गया ई-लर्निग प्लेटफार्म , जो सभी टयूटोरियल, प्रशीक्षुओ के मूल्यांकन, वीडिओ व्याख्यान और अन्य अध्ययन सामग्री से सुसजित है| वे ई-लाइब्रेरी के लिए एलएमएस के रूप में ओपन सोर्स-अधारित ई-लर्निग प्लेटफार्म उपलब्ध किया है।
सूचना-प्रौद्योगिकी के साथ-साथ क्षेत्र संचार पर राज्य तकनीकी परियोजना को इस संस्था द्वारा विकसित किया गया है जैसे 1. एलएमएस 2. वीएमसए 3. सीएमएस 4. ई-लर्निग सॉफ्टवेयर आदि।
हम बिरला इंस्टीटयूट आफ टेक्नोलॉजी, रांची ज्यूडिशियल एकेडमी रांची, बीएसएनएल और केंद्रीय/राज्य प्राधिकारणों के विषेशज्ञों के योगदान को कृतज्ञतापूर्वक स्वीकार करते है जिन्होंने विकास प्रक्रिया के दौरान पेशेवर और तकनीकी इनपुट और संसाधन प्रदान किए है। इस संस्थान के समर्पित प्रेशिक्षको की टीम हमेंशा प्रशंसा के लायक रहे है।
इस प्रयास में हम लगातार श्री सैयद मोहम्मद हसनैन, पुलिस महानिरीक्षक, दूरसंचार द्वारा दिशा निर्देषित हैं, जिन्होने अपने व्यक्तिगत विषेशज्ञता को साझा किया है। दूरसंचार क्षेत्र, सिग्नल रेंज और सिग्नल इकाइयों ने नियमित रूप से संस्था को महत्वपूर्ण सहयोग दिया है। सीआरपीएफ निदेशालय, सभी क्षेत्रों, सेक्टरों और फोर्स के अधिकारियों ने समय-समय पर सहायता प्रदान की है।
हमारें संकाय सदस्यों और बाहर से आए विषेशज्ञों द्वारा प्रदान किए गए प्रशिक्षण के विकास की परिकल्पना इस प्रमुख संस्थान की दृष्टि और मिशन को ध्यान में रखते हुए की गई है।
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